दलित संगठनों और इंडिया गठबंधन के दलों का अमित साह के खिलाफ प्रदर्शन

19 दिसंबर 2024 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में डॉ. भीमराव अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के बाद देशभर में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। दलित संगठनों और ‘इंडिया’ गठबंधन के दलों ने इस बयान को डॉ. अंबेडकर का अपमान बताते हुए व्यापक प्रदर्शन किए हैं।
अमित शाह की टिप्पणी और विवाद
संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा, “अभी एक फैशन हो गया है, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिलता।” इस बयान को विपक्षी दलों और दलित संगठनों ने डॉ. अंबेडकर का अपमान करार दिया।
कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन
दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भाजपा मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया। प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि अमित शाह की टिप्पणी से भाजपा का दलित विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। उन्होंने कहा, “बाबा साहब का यह अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” प्रदर्शन में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए।
समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन
वाराणसी में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अमित शाह के बयान के खिलाफ प्रदर्शन किया। सपा नेता संदीप मिश्रा ने कहा, “अमित शाह ने डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान किया, जो इस देश के संविधान के रचयिता थे। यह न केवल देश के दलितों और पिछड़ों का बल्कि पूरे राष्ट्र का अपमान है।”
‘इंडिया’ गठबंधन का मार्च
संसद भवन के निकट विजय चौक पर ‘इंडिया’ गठबंधन के सांसदों ने बाबासाहेब की तस्वीर वाली तख्तियां लेकर नारेबाजी की और संसद मार्ग तक मार्च किया। उन्होंने अमित शाह से माफी की मांग की और भाजपा पर दलित विरोधी मानसिकता का आरोप लगाया।
ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने शाह के बयान को भाजपा की जातिवादी और दलित विरोधी मानसिकता का प्रदर्शन करार दिया। उन्होंने कहा, “यह बयान भाजपा की दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।”
आम आदमी पार्टी का विरोध
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा, “इस तरह से भारतीय जनता पार्टी और देश के गृहमंत्री बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं। बाबा साहब के संविधान को तार-तार कर रहे हैं, उसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं।”
भाजपा की प्रतिक्रिया
विवाद बढ़ने पर भाजपा ने सफाई देते हुए कहा कि अमित शाह के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। भाजपा के नेताओं ने कहा कि शाह ने डॉ. अंबेडकर के प्रति सम्मान व्यक्त किया था और उनका बयान पूरी तरह से संदर्भ से हटाकर दिखाया गया।
दलित संगठनों की भूमिका
इस विवाद के बाद विभिन्न दलित संगठनों ने भी सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने देशभर में रैलियां और सभाएं आयोजित कीं, जिसमें अमित शाह से माफी की मांग की गई और डॉ. अंबेडकर के प्रति सम्मान व्यक्त किया गया।
राजनीतिक विश्लेषण
विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनावों को देखते हुए दलित वोट बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसलिए सभी राजनीतिक दल दलित समुदाय के समर्थन के लिए प्रयासरत हैं। अमित शाह की टिप्पणी के बाद विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाकर भाजपा पर हमला तेज कर दिया है।
निष्कर्ष
अमित शाह की डॉ. अंबेडकर पर की गई टिप्पणी ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। दलित संगठनों और ‘इंडिया’ गठबंधन के दलों ने इसे डॉ. अंबेडकर का अपमान बताते हुए व्यापक प्रदर्शन किए हैं। भाजपा ने सफाई देते हुए कहा कि बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। आगामी चुनावों के मद्देनजर यह मुद्दा और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जिससे दलित वोट बैंक की भूमिका पर सभी की नजरें टिकी हैं।